म्यूचुअल फंड पैसा निवेश करने का एक तरीका है। आजकल लोग म्यूचुअल फंड की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं क्योंकि यह कम् जोखिम के साथ - साथ बेहतरीन रिटर्न भी प्रदान करता है और इसमें आपको एक सक्रिय निवेशक की भांति अपना बहुत अधिक समय देने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह कार्य एक्सपर्ट फंड मैनेजर कर देते हैं।
म्यूचुअल फंड प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए कई लोगों (जिनके निवेश का एक सामान्य उद्देश्य है) से फंड इकट्ठा करते हैं। प्रत्येक म्यूचुअल फंड योजना का एक उद्देश्य होता है जो एनएफओ (न्यू फंड ऑफर) के समय स्थापित होता है। म्युचुअल फंड मुख्यत 5 चरण चक्र प्रक्रिया में काम करते हैं जो एनएफओ (NFO) जारी करके पैसा एकत्रित करने के साथ शुरू होती है और रिटर्न के वितरण के साथ पूरा होती है।
पहला चरण - एनएफओ इश्यू (NFO Issue)
म्यूचुअल फंड एनएफओ जारी करता हैं, जो निवेशकों को म्यूचुअल फंड स्कीम को सब्सक्राइब करने का अवसर देता है, यह एनएफओ निवेशकों के लिए सीमित समय के लिए लॉन्च किया जाता है, एनएफओ के बंद होने के बाद भी निवेशक यूनिट खरीद सकते हैं (लेकिन निवेशक केवल ओपन एंडेड स्कीम में ही यूनिट खरीद सकते हैं क्लोज एंडेड स्कीम में एनएफओ क्लोजिंग के बाद निवेशकों के पास कोई विकल्प नहीं होता है)। म्युचुअल फंड के एनएफओ में स्कीम की भविष्य रणनीति के साथ-साथ अन्य जानकारी जैसे व्यय अनुपात (शुल्क), न्यूनतम निवेश, जोखिम और अन्य उपयोगी जानकारी का खुलासा किया, ताकि निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्य के आधार पर सही म्युचुअल फंड योजना का चयन कर सकें।
दूसरा चरण - पैसा इकट्ठा करना (Money is Pooled)
एनएफओ के बाद, म्युचुअल फंड कम्पनी उन निवेशकों से पैसा इकट्ठा करती हैं, जो उस स्कीम में निवेश करना चाहते हैं और उनका उस स्कीम के अनुसार निवेश का समान उद्देश्य है। म्युचुअल फंड छोटे निवेशको को भी अपनी बचत बड़े पोर्टफोलियो में निवेश करने का अवसर देता है, जो व्यक्तिगत रूप से उनके लिए संभव नहीं है। अतः म्यूच्यूअल फण्ड बड़े निवेशकों के साथ साथ छोटे निवेशकों को भी आय प्राप्त करने का समान अवसर देते हैं |
तीसरा चरण - प्रतिभूतियों में निवेश (Invest in Securities)
म्यूचुअल फंड कंपनी इकट्ठा किये गए फण्ड को स्कीम के अनुसार प्रतिभूतियों में निवेश करती है, यह निवेश फण्ड मैनेजर के द्वाराकिया जाता हैं | फंड मैनेजर द्वारा एनएफओ के आधार पर स्कीम का पोर्टफोलियो तय किया जाता है। फंड मैनेजर के पास प्रतिभूतियों में निवेश करने की विशेषज्ञता है, साथ ही उन प्रतिभूतियों की पहचान करने की क्षमता है जो स्कीम के उद्देश्यों के लिए सबसे उपयुक्त हैं और जो निवेशको को अधिकतम रिटर्न प्रदान करे। फण्ड मैनेजर समय-समय चयनित प्रतिभूतियां की जाँच भी करते रहते हैं की वे कैसा प्रदर्शन कर रही हैं, यदि चयनित प्रतिभूतियां अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही हैं, तो वे उन्हें अच्छे प्रदर्शन वाली प्रतिभूतियों से बदल देते हैं।
चौथा चरण - शुल्क और व्यय चार्ज करना (Charging Fees and Expenses)
म्युचुअल फंड कंपनी कुछ शुल्क लेती है जो वार्षिक परिचालन शुल्क या शेयरहोल्डर शुल्क या दोनों हो सकते हैं। म्युचुअल फंड विशेषज्ञों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं और उन विशेषज्ञों की एक फीस होती हैं, और वे पोर्टफोलियो प्रबंधन, बाजार अनुसंधान, विज्ञापन और अन्य खर्चों के लिए पैसो खर्च करते हैं, इसलिए वे एक विशिष्ट शुल्क लेते हैं जो सेबी के दिशानिर्देशों द्वारा निर्धारित होता है।
पांचवां चरण - आय/लाभ वितरण (Return Distribution)
म्यूचुअल फंड आमतौर पर निवेशकों को तीन तरह के रिटर्न देता है, जो अलग-अलग समय के आधार पर हो सकता है, शेयरों पर लाभांश और पूंजीगत लाभ, बॉन्ड और सरकारी प्रतिभूतियों पर ब्याज, यह सभी म्यूच्यूअल फण्ड से आय के स्रोत हैं।
जब फंड रिटर्न देता है, तो वे इसे वितरित करते हैं या म्यूचुअल फंड स्कीम में पुनर्निवेश करते हैं, लेकिन इससे पहले वे निवेशकों को विकल्प देते हैं, वे म्यूचुअल फंड से रिटर्न चाहते हैं या अतिरिक्त यूनिट चाहते हैं।
यह म्यूचुअल फंड निवेश का एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह निवेश चक्र को पूरा करता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करना एक सतत प्रक्रिया है, जब तक आप अपना निवेश किया गया पैसा वापस नहीं निकाल लेते हैं।