AMC क्या होती है?
एएमसी एक फर्म होती है जो कई लोगों से धन एकत्र करती है और निवेशकों की ओर से अलग - अलग स्कीम के माध्यम से विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करती है। एक एएमसी में स्कीम के संचालन और प्रबंधन के लिए फंड मैनेजरों को नियुक्त किया जाता हैं, जिनको निवेश में विशेषज्ञता हासिल होती हैं, जो पहले निवेश के लक्ष्यों को परिभाषित करते हैं, तत्पश्चात बाजार जोखिम और रिटर्न का आकलन किया जाता हैं और फिर सबसे अच्छी रणनीति का चयन किया जाता हैं। AMC के पास अपने फंड मैनेजरों की सहायता के लिए शोधकर्ताओं और विश्लेषकों की एक टीम भी होती है। फण्ड मैनेजर निवेशकों के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए धन को कहां, कब और कितना निवेश करें, इससे संबंधित आवश्यक निर्णय लेते हैं। एएमसी को म्यूचुअल फंड कंपनी या फंड हाउस के नाम से भी जाना जाता है।
AMC का स्ट्रक्चर(संरचना) कैसी है ?
भारत सरकार और RBI ने 1963 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) की स्थापना की, बाद में, जब सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और संस्थानों को म्यूचुअल फंड स्थापित करने की अनुमति दी, तो SEBI एक्ट (अधिनियम) 1992 में AMC को म्यूचुअल फंड के ढांचे में शामिल किया गया था। यह समझने के लिए कि एएमसी क्या है और यह भारत में म्यूचुअल फंड संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कैसे है, आइए नीचे दिए गए चार्ट को देखें:Sponsor(स्पॉन्सर) म्यूचुअल फंड के प्रमोटर को स्पॉन्सर के रूप में जाना जाता है। स्पॉन्सर एक ट्रस्ट स्थापित करता है और बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी की नियुक्त करता है। Trustee(ट्रस्टी) ट्रस्टी SEBI & AMFI ( सेबी और एएमएफआई ) के दिशानिर्देशों के अनुसार म्यूचुअल फंड को नियंत्रित करता है। ट्रस्टी की भूमिका निवेशकों के हितो की सुरक्षा करना होता हैं। AMC(एएमसी) एएमसी एक म्यूचुअल फंड की रेगुलेटिंग बॉडी (नियामक निकाय )होती है। यह म्यूचुअल फंड के सभी प्रशासनिक, प्रबंधकीय और परिचालन कार्यों की देखरेख करती है।एएमसी यह तय करती है कि किन प्रतिभूतियों को बेचना है, खरीदना है या रखना है और यह फंड मैनेजरों के द्वारा अनुसंधानकर्ता और विश्लेषकों के समर्थन से यूनिट धारकों के हितो में किया जाता है। Custodian(कस्टोडियन)(संरक्षक) कस्टोडियन म्यूचुअल फंड इकाइयों के स्वामित्व वाली प्रतिभूतियों को रखने और उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। RTA (आरटीए) (Registrar and Transfer Agents) आरटीए की प्राथमिक भूमिका म्यूचुअल फंड में निवेशकों के लेन-देन पर नज़र रखना है। आरटीए अकाउंटिंग रिकॉर्ड और यूनिट रिकॉर्ड रखते हैं।
Sponsor(स्पॉन्सर) | म्यूचुअल फंड के प्रमोटर को स्पॉन्सर के रूप में जाना जाता है। स्पॉन्सर एक ट्रस्ट स्थापित करता है और बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी की नियुक्त करता है। |
Trustee(ट्रस्टी) | ट्रस्टी SEBI & AMFI ( सेबी और एएमएफआई ) के दिशानिर्देशों के अनुसार म्यूचुअल फंड को नियंत्रित करता है। ट्रस्टी की भूमिका निवेशकों के हितो की सुरक्षा करना होता हैं। |
AMC(एएमसी) | एएमसी एक म्यूचुअल फंड की रेगुलेटिंग बॉडी (नियामक निकाय )होती है। यह म्यूचुअल फंड के सभी प्रशासनिक, प्रबंधकीय और परिचालन कार्यों की देखरेख करती है।एएमसी यह तय करती है कि किन प्रतिभूतियों को बेचना है, खरीदना है या रखना है और यह फंड मैनेजरों के द्वारा अनुसंधानकर्ता और विश्लेषकों के समर्थन से यूनिट धारकों के हितो में किया जाता है। |
Custodian(कस्टोडियन)(संरक्षक) | कस्टोडियन म्यूचुअल फंड इकाइयों के स्वामित्व वाली प्रतिभूतियों को रखने और उनकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। |
RTA (आरटीए) (Registrar and Transfer Agents) | आरटीए की प्राथमिक भूमिका म्यूचुअल फंड में निवेशकों के लेन-देन पर नज़र रखना है। आरटीए अकाउंटिंग रिकॉर्ड और यूनिट रिकॉर्ड रखते हैं। |
म्युचुअल फंड के स्पॉन्सर:
म्यूचुअल फंड का स्पॉन्सर म्यूचुअल फंड का प्रमोटर होता है। लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए, स्पॉन्सर के पास वित्तीय सर्विस इंडस्ट्री (जैसे बैंक, वित्तीय संस्थान आदि) में कम से कम 5 वर्षों का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए। स्पॉन्सर म्यूचुअल फंड स्थापित करने के लिए सेबी के पास एक आवेदन दायर करता है। एक बार स्वीकृत हो जाने के बाद, स्पॉन्सर म्यूचुअल फंड फर्म की स्थापना के लिए आवश्यक धन प्रदान करता है। भारत में म्युचुअल फंड ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया जाता हैं। सेबी से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, स्पॉन्सर सेबी के नियमों का पूर्ण अनुपालन बनाए रखने के लिए एक बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी की स्थापना करता है।ट्रस्टी की भूमिका:
ट्रस्टी एएमसी की स्थापना करते हैं, जो म्यूचुअल फंड की संपत्ति का प्रबंधन करते है। ट्रस्टी योजना की संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक संरक्षक का भी चयन करते हैं। ट्रस्टी का मुख्य ध्यान निवेशकों के हितों की रक्षा करना है। ट्रस्टी यह सुनिश्चित करते हैं कि फंड वास्तव में शेयरधारकों के हितों में प्रबंधित किए जा रहे हैं की नहीं। जबकि ट्रस्टी फंड के दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन में शामिल नहीं होते हैं।कस्टोडियन की भूमिका:
कस्टोडियन बैंक और अधिकृत वित्तीय संस्थान होती हैं जो सेबी के साथ पंजीकृत होती हैं और बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। एक कस्टोडियन की प्राथमिक जिम्मेदारी एक म्यूचुअल फंड के तहत प्रतिभूतियों और अन्य संपत्तियों की सुरक्षा करना होता है। कस्टोडियन संपत्ति की सभी बिक्री और खरीद, धन के मिलान और सही निवेशक को हस्तांतरित शेयरों/इकाइयों की पुष्टि के लिए जिम्मेदार होता है। संरक्षक प्रत्येक इकाई धारक के लिए सटीक और अपडेटेड जानकारी प्रदान करता है। यह व्यक्तिगत डेटा फंड हाउस को प्रदान किया जाता है।RTAs की भूमिका:
एएमसी रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट (आरटीए) की नियुक्ति करती है। आरटीए की प्राथमिक भूमिका म्यूचुअल फंड में निवेशकों के लेन-देन पर नज़र रखना है। इनमें निवेशको के विभिन्न प्रकार के निवेश से सम्बंदित लेनदेन शामिल हैं जैसे खरीदना, रिडीम करना, स्विच इन या आउट करना, व्यक्तिगत जानकारी अपडेट करना और कई अन्य। आरटीए एप्लिकेशन प्रोसेसिंग, यूनिट आवंटन, और यूनिट धारकों को एसओए के रूप में ज्ञात अकाउंट स्टेटमेंट्स की डिलीवरी को संभालते हैं। आरटीए एजेंट फंड अकाउंटिंग, निवेशक संचार, और निवेशक सर्विसिंग और खाता रखरखाव के लिए आवश्यक अन्य कर्तव्यों को भी संभालते हैं। एक निवेशक के सभी लेन-देन एक संगठन द्वारा रखा जाता है। भले ही निवेश कई एएमसी के साथ किया गया हो।AMC कैसे काम करती है ?
आइए एसेट मैनेजमेंट कंपनी के संचालन के बारे में जानते हैं:एक एएमसी विभिन्न निवेशकों से उनके भिन्न- भिन्न वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर धन जुटाती है। निवेशको से जुटाए धन को यह एक विविध पोर्टफोलियो में बड़ी राशि का निवेश करते है, जिससे पैमाने की मितव्ययिता और खरीदारी पर मिलने वाली छूट के कारण, इसका फायदा निवेशको को मिलता हैं | पोर्टफोलियो का रिटर्न बाद में सभी छोटे खुदरा निवेशकों को वितरित किया जाता है।
एएमसी के द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए वह एक निश्चित शुल्क या कमीशन लेती है, यह शुल्क मासिक या त्रैमासिक हो सकता है।
AMC कैसे कार्य करती है?
एक AMC निवेशकों के फंड को अच्छी तरह से प्रबंधित करने के लिए कई कार्य करती है। कंपनी मुख्य रूप से म्यूचुअल फंड स्कीम को मेन्टेन करने और निवेशको के लिए फायदेमंद लगने वाले फैसले लेने के कार्य करती है। अधिक समझने के लिए, एएमसी कार्य नीचे सूचीबद्ध किये गए है:अनुसंधान और विश्लेषण (Research and Analysis):
AMC गहन विश्लेषण करती हैं, बाजार की परीस्थितियों का अध्ययन करती हैं और यह सुनिश्चित करती है की बाजार की मौजूदा स्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही एकत्रित धन का निवेश उसकी पूरी क्षमता के साथ किया गया है। इसके अतिरिक्त, वे व्यापक और सूक्ष्म आर्थिक(मैक्रोइकॉनॉमिक एवं माइक्रोइकनोमिक) कारकों की एक विस्तृत श्रृंखला की भी जांच करते हैं और निर्णय लेते कि किस वित्तीय लेनदेन को किया जाए। वित्तीय वातावरण की विस्तृत समझ प्राप्त करने के बाद, वे एक शॉर्टलिस्ट बनाते हैं, फिर अंत में सबसे फायदेमंद अवसर चुनते हैं और रिपोर्ट फंड मैनेजर को निवेश करने के लिए पास करते हैं, जो फिर फंड के उद्देश्यों के आधार पर निवेश निर्णय लेते हैं।संपत्ति आवंटन(Asset Allocation):
AMC उन संपत्तियों और प्रतिभूतियों को निर्दिष्ट करती हैं जिनमें अलग अलग स्कीम्स के आधार पर उनके विश्लेषण और गणना के अनुसार पूल किए गए फंड को निवेश किया जाना चाहिए। फिर AMC के द्वारा स्कीम के आधार पर संपत्ति खरीदने के लिए पैसा आवंटित किया जाता है। फण्ड मैनेजर जोखिम को संतुलित करने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों में धन का निवेश करता है; उदाहरण के लिए, जोखिम के स्तर को कम एवं संतुलित रखने के लिए एक फण्ड मैनेजर डेट-ओरिएंटेड फंड स्कीम में इक्विटी-मार्केट में सिर्फ 20% निवेश करता है; हालाँकि, एक इक्विटी-ओरिएंटेड फंड स्कीम में इक्विटी-मार्केट में 75% से अधिक हिस्सा निवेश करते हैं और शेष डेट में निवेश करेते हैं।पोर्टफोलियो निर्माण/विकास(Portfolio Creation/Development):
एक AMC द्वारा लिये जाने वाले निर्णय में से इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो बनाना सबसे महत्वपूर्ण होता है। बाजार अनुसंधान रिपोर्टों का अध्ययन करने और धन आवंटित करने के बाद, अगला चरण अपने निवेशकों के लिए एक अच्छा डाइवर्सिफाइ पोर्टफोलियो विकसित करना है, जो मुख्य रूप से फंड मैनेजर के ज्ञान और विशेषज्ञता पर निर्भर है। रिटर्न बढ़ाने के लिए फंड मैनेजर द्वारा सक्रिय निवेश किया जाता है। फंड मैनेजर किसी संपत्ति या प्रतिभूतियों को खरीदने या बेचने का निर्णय लेने से पहले सभी संबंधित विचारों की जांच करते हैं।परफॉरमेंस समीक्षा/मूल्यांकन(Performance Review/Evaluation):
AMC अपने निवेश निर्णयों के लिए अपने निवेशकों और ट्रस्टियों के प्रति जवाबदेह होती हैं, इसलिए फण्ड मैनेजर एवं एएमसी दोनों के लिए पोर्टफोलियो कैसा प्रदर्शन कर रहा इसकी समीक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। फण्ड मैनेजर को प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री या होल्डिंग को सही ठहराने के लिए तैयार रहना चाहिए। प्रत्येक फंड मैनेजर आमतौर पर निवेशकों को बिक्री, पुनर्खरीद, एनएवी, रिटर्न ऑन रिस्क, पोर्टफोलियो में बदलाव और वह सब जानकारी जो उनके पोर्टफोलियो को प्रभावित कर सकता है, के बारे में समय-समय पर जानकारी प्रदान करता है।एसेट मैनेजमेंट कंपनी - बाय साइड या सेल साइड?
वित्तीय लेन-देन में, दो पक्ष होते हैं: बाय साइड या सेल साइड (खरीद-पक्ष और विक्रय-पक्ष)। विक्रय-साइड को किसी ऐसे पार्टी या पक्ष के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी अन्य पार्टी या पक्ष को कुछ बेचती है। यह "चीजें" एक सामान, एक सेवा, प्रतिभूतियां, सलाह, ज्ञान आदि हो सकती है। दूसरी ओर, खरीद-पक्ष, कोई भी व्यक्ति है जो बिक्री-पक्ष से बिक्री योग्य वस्तु खरीदता है।AMC को आमतौर पर बाय-साइड संस्था माना जाता है। यह परिभाषा इंगित करती है कि वे अपने निवेशकों को इन-हाउस रिसर्च और डेटा एनालिटिक्स के आधार पर निवेश का चयन करने में मदद करते हैं।
AMCs को कौन नियंत्रित करता है ?
एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), पूंजी बाजार नियामक द्वारा नियंत्रित होती है। दी एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए एएमसी को निष्क्रिय रूप से नियंत्रित करता है।सेबी और एएमएफआई द्वारा निर्धारित दिशानिर्देश (Guidelines)जो कि एक निवेशक को एएमसी के बारे में पता होना चाहिए:
म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए SEBI और AMFI द्वारा अनिवार्य कुछ दिशा-निर्देश और प्रथाएं निम्नलिखित हैं:- AMC के चेयरमैन को म्यूचुअल फंड ट्रस्टी के रूप में काम करने की अनुमति नहीं है।
- प्रत्येक AMC के प्रमुख सदस्यों(Key Members) को किसी भी बेईमानी या आपत्तिजनक कृत्यों में भाग नहीं लेना चाहिए या उन्हें दोषी नहीं पाया जाना चाहिए अथार्त प्रमुख कर्मियों का एक साफ ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए।
- AMC किसी म्यूचुअल फंड ट्रस्टी के रूप में काम नहीं कर सकती।
- AMC की नेटवर्थ कम से कम 50 करोड़ रुपये होनी चाहिए।
- एएमसी द्वारा ट्रस्टियों को गतिविधियों और विनियमों (activities and compliance) के अनुपालन पर एक त्रैमासिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।
- कंपनी अपनी स्वयं की किसी भी योजना में निवेश नहीं करेगी,अगर कंपनी ऐसा करना चाहती है तो कंपनी को अपने ऑफर डॉक्यूमॉन्ट में निवेश करने के अपने इरादे को पूर्ण प्रकटीकरण करना होगा, उसी स्थिती में ही निवेश कर सकती है।
भारत की टॉप एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Top Asset Management Companies in India)
वर्तमान में, भारत में 44 एसेट मैनेजमेंट कंपनी कार्यरत हैं। सभी एएमसी एएमएफआई के तहत पंजीकृत हैं। भारत की टॉप एसेट मैनेजमेंट कंपनियां निम्नलिखित हैं:
AMC
Name |
AUM(₹Cr.) |
Total
No. of Schemes |
SBI Mutual Fund |
683775.86 |
132 |
ICICI Prudential Mutual Fund |
497269.25 |
123 |
HDFC Mutual Fund |
432895.25 |
71 |
Nippon India Mutual Fund |
287077.92 |
104 |
Kotak Mahindra Mutual Fund |
284017.56 |
58 |
Birla Sun Life Mutual Fund |
283257.48 |
108 |
Axis Mutual Fund |
248991.5 |
64 |
UTI Mutual Fund |
233595.46 |
69 |
IDFC Mutual Fund |
120050.64 |
49 |
DSP Mutual Fund |
111340.8 |
50 |
Mirae Asset Mutual Fund |
110974.99 |
41 |
Edelweiss Mutual Fund |
104111.5 |
54 |
Tata Mutual Fund |
91314.86 |
50 |
HSBC Mutual Fund |
68567.86 |
40 |
Franklin Templeton Mutual Fund |
62479.56 |
45 |
Canara Robeco Mutual Fund |
55149.07 |
22 |
Sundaram Mutual Fund |
42421.7 |
48 |
Invesco Mutual Fund |
42330.61 |
39 |
Motilal Oswal Mutual Fund |
33159.82 |
38 |
PPFAS Mutual Fund |
28410.55 |
4 |
Baroda BNP Paribas Mutual Fund |
22895.49 |
37 |
PGIM India Mutual Fund |
19333.3 |
24 |
LIC Mutual Fund |
17879.04 |
27 |
L&T Mutual Fund |
16896.34 |
0 |
Quant Mutual Fund |
11155.48 |
16 |
Union Mutual Fund |
9390.21 |
21 |
Mahindra Manulife Mutual Fund |
9170.84 |
20 |
NJ Mutual Fund |
4961.82 |
3 |
IIFL Mutual Fund |
4690.65 |
5 |
IDBI Mutual Fund |
3801.57 |
22 |
Bank of India Mutual Fund |
3054.36 |
20 |
JM Financial Mutual Fund |
3030.49 |
14 |
ITI Mutual Fund |
2926.99 |
17 |
Quantum Mutual Fund |
2016.94 |
10 |
Navi Mutual Fund |
1735.94 |
13 |
TRUST Mutual Fund |
967.29 |
5 |
WhiteOak Capital Mutual Fund |
662.03 |
7 |
Samco Mutual Fund |
647.21 |
3 |
Indiabulls Mutual Fund |
524.27 |
10 |
Taurus Mutual Fund |
517.54 |
8 |
Shriram Mutual Fund |
253.71 |
5 |
सही AMC या म्यूचुअल फंड कंपनी कैसे चुनें ?
AMC का चयन करने से पहले आपको बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान AMC की निवेश योजनाओं के ट्रैक रिकॉर्ड और पिछले प्रदर्शन और साथ-साथ एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) की जांच करनी चाहिए। ऐसे AMC को चुनना फायदेमंद होता है जिसका एसेट बेस मजबूत हो और जो बड़े निवेशकों के संपत्ति को रिडीम करने के अप्रत्याशित दबाव को संभालने में सक्षम हो। इसलिए आपको अपना पैसा निवेश करने से पहले AMC के बारे में अच्छी तरह से जानना बहुत जरूरी है।AMC चुनते समय निवेशक निम्नलिखित बातों पर विचार कर सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं की उन्होंने सही म्यूचुअल फंड कंपनी चुनाव किया है:
- एक AMC की प्रतिष्ठा लगातार अच्छे प्रदर्शन से बनती है। निवेशक को स्कीम्स की और एएमसी की वार्षिक रिपोर्ट, बाजार समीक्षा और सेबी और एएमएफआई को प्रस्तुत अनुपालन(Compliance) रिपोर्ट में परिणामों की जांच करनी चाहिए।
- आपको फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड और निवेश के तरीके को देखना चाहिए। फंड मैनेजर का निवेश दृष्टिकोण और विशेषज्ञता कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स के प्रदर्शन को निर्धारित करती है। फंड मैनेजर का प्रदर्शन वर्तमान में AMC के प्रदर्शन के अनुरूप होना चाहिए।
- किसी भी फंड को चुनने से पहले, एक निवेशक को फंड की कीमत (निवेश की जाने वाली राशी ) के साथ-साथ इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले मूल्य निर्माण (वैल्यू क्रिएशन ) और रिटर्न पर भी विचार करना चाहिए।
- शुल्क और कमीशन: कुछ AMC की अपनी सेवाओं के लिए एक निर्धारित लागत होती है, एवं कुछ अन्य AMC की उनके फंड के प्रदर्शन के आधार पर कमीशन लेती हैं। इस तथ्य के कारण कि एक निवेशक हमेशा बहिर्वाह राशि के बारे में अग्रिम रूप से अवगत रहेगा, एक कमीशन के बजाय एक निश्चित राशि को प्राथमिकता दी जाती है। इसलिए एक निवेशक को AMC द्वारा चार्ज किये जाने वाले शुल्क और कमीशन के बारे में भी जांच करनी चाहिए।