म्यूचुअल फंड के प्रकार : Types of Mutual Fund in hindi

31 विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड - संरचना, एसेट निवेश, निवेश उद्देश्य, जोखिम मूल्यांकन और विशेष लाभों के आधार पर म्यूचुअल फंड के प्रकार :

म्यूचुअल फंड एक ऐसी विकल्प है जिसमें निवेशकों का पैसा एकत्रित किया जाता है और उन्हें अलग-अलग निवेश विकल्पों में निवेश करने का मौका मिलता है। इससे निवेशकों को एक विस्तृत निवेश पोर्टफोलियो का विकल्प मिलता है।

यदि आप अपने निवेश मैं विविधता लाना चाहते हैं, तो आपके पास कई प्रकार के म्यूचुअल फंड विकल्प हैं। म्यूचुअल फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प होते हैं जो निवेश के मामले में अनुभवहीन होते हैं या निवेश के लिए बहुत कम समय रखते हैं।

यदि आप म्यूचुअल फंड के लिए विकल्प खोज रहे हैं, तो आपको उसकी संरचना, निवेश उद्देश्य, जोखिम मूल्यांकन, एसेट निवेश और विशेष लाभों के आधार पर विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंडों के बारे में अध्ययन करने की जरूरत होगी। यह आपको अपने निवेशों के लिए सबसे उपयुक्त म्यूचुअल फंड का चयन करने में मद मदद करेगा। तो आइए जानते हैं म्यूचुअल फण्ड के प्रकार और उसकी विशेषता के बारे में और जानें कि कौन से म्यूचुअल फंड आपके लिए एक अच्छा निवेश हो सकते हैं

म्यूचुअल फंड के प्रकार,Types of Mutual Fund in hindi

म्यूचुअल फंड के प्रकार ( Types of Mutual Funds in hindi )

विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड और उनसे मिलने वाले लाभों को जानना महत्वपूर्ण है। म्यूचुअल फण्ड के प्रकारों को विभिन्न पहलुओं के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड के बारे में अधिक जानें :-

ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड ( Open-ended Mutual Funds )

क्लोज-एंडेड म्यूचुअल फंड ( Close-ended Mutual Funds )

इंटरवल म्यूचुअल फंड ( Interval Mutual Funds )

इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड ( Equity Mutual Funds )

बॉन्ड म्यूचुअल फंड ( Bond Mutual Funds )

हाइब्रिड म्यूचुअल फंड ( Hybrid Mutual Funds )

मनी मार्केट म्यूचुअल फंड ( Money Market Mutual Funds )

ग्रोथ म्यूचुअल फंड ( Growth Mutual Funds )

इनकम म्यूचुअल फंड ( Income Mutual Funds )

टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड ( Tax-Saving Mutual Funds )

लिक्विड म्यूचुअल फंड ( Liquid Mutual Funds )

पेंशन म्यूचुअल फंड ( Pension Mutual Funds )

सेक्टर म्यूचुअल फंड ( Sector Mutual Funds )

इंडेक्स म्यूचुअल फंड ( Index Mutual Funds )

एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs)

संरचना के आधार पर ( Mutual fund Based on Structure )

म्यूचुअल फंड का संरचना के आधार पर वर्गीकरण - ओपन-एंडेड फंड, क्लोज-एंडेड फंड और इंटरवल फंड, म्यूचुअल फंड की संरचना उस म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद और बिक्री की आसानी और लचीलापन को परिभाषित करती है। यहाँ संरचना के आधार पर म्यूचुअल फंड का वर्गीकरण निम्नलिखित है :-

संरचना के आधार पर म्युचुअल फंड के प्रकार,Mutual fund Based on Structure

ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड ( Open-ended Mutual Funds )

ओपन-एंडेड फंड निवेशकों को मौजूदा एनएवी (NAVs) पर अपनी सुविधा के अनुसार बाजार में प्रवेश और निकास (निवेश और रिडेम्प्शन) करने की अनुमति देते हैं। फंड द्वारा निर्धारित नेट एसेट वैल्यू (NAVs) का उपयोग बाजार में इकाइयों की खरीद और बिक्री के लिए किया जाता है। ओपन-एंडेड म्युचुअल फंड में उच्च स्तर की लिक्विडिटी होती है, जो इन्हें निवेशकों के लिए एक अच्छी विकल्प बनाती है। अधिकांश म्युचुअल फंड योजनाएं ओपन-एंडेड ही होती हैं। लेकिन ईएलएसएस (ELSS) योजनाएं और कुछ मामलों में सोलुशन-ओरिएंटेड (Solution-Oriented) योजनाएं लॉक-इन अवधियों के साथ ओपन-एंडेड योजनाओं का अपवाद होती हैं। ईएलएसएस (ELSS) योजनाओं में 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है जो निधारित अवधि में रिडेम्प्शन को प्रतिबंधित करती है, लेकिन सोलुशन-ओरिएंटेड (Solution-Oriented) फंडों में लॉक-इन अवधि 5 साल तक हो सकती है।

क्लोज-एंडेड म्यूचुअल फंड ( Close-ended Mutual Funds )

क्लोज-एंडेड म्युचुअल फंड एक ऐसी स्कीम है जिसमें एक म्यूच्यूअल फंड कंपनी निवेशकों के लिए एक फिक्स्ड मेच्योरिटी पीरियड के साथ यूनिट इश्यूज करती है। इस तरह की स्कीम में निवेश करने के लिए निवेशकों को NFO ( न्यू फंड ऑफर ) के टाइम पर ही यूनिट्स खरीदने होते हैं और यह NFO एक लिमिटेड टाइम पीरियड के लिए जारी किया जाता है, NFO के बाद यह यूनिट्स खरीदने के लिए निवेशकों के पास कोई विकल्प नहीं होता है। मेच्योरिटी डेट के बाद ही निवेशकों को उनके द्वारा निवेश की गई राशि और उस पर कमाया गया रिटर्न मिलता हैं, लेकिन सेबी के नियमों के अनुसार म्युचुअल फंड कंपनी को निवेशकों को फंड/स्कीम से निकलने का एक ऑप्शन प्रोवाइड करना जरूरी होता है जैसे फंड को स्टॉक एक्सचेंज में बेच करके या फिर फंड को कंपनी को वापस बेच करके। यह स्कीम लोंग टर्म निवेश के लिए उचित है क्योंकि इसमें फिक्स्ड मेच्योरिटी पीरियड तक इन्वेस्टमेंट को लॉक रखा जाता है इसके अलावा मार्केट अस्थिरता (volatility) से बचने के लिए यह स्कीम निवेशक के लिए एक अच्छा विकल्प है। लेकिन इस तरह के फंड में कुछ रिस्क भी होते हैं जैसे अत्यधिक एकमुश्त निवेश लिमिटेड लिक्विडिटी, इसलिए निवेशकों को क्लोज एंडेड म्युचुअल फंड में निवेश करने से पहले फंड के उद्देश्य और पहले की परफॉर्मेंस को चेक कर लेना चाहिए।

इंटरवल म्यूचुअल फंड ( Interval Mutual Funds )

इंटरवल म्यूचुअल फंड एक ऐसी योजना है जिसमें निवेशकों को ओपन-एंडेड और क्लोज-एंडेड फंड दोनों के लाभ मिलते हैं। इंटरवल म्यूचुअल फंड में, निवेशकों को पहले से निर्धारित समयावधि में यूनिट खरीदने या बेचने का विकल्प दिया जाता है। इस समयावधि को फंड हाउस द्वारा NFO के समय तय किया जाता है। इंटरवल म्यूचुअल फंड में, बायबैक समयावधि ऑफर तीन, छह या बारह महीने के दौरान किए जाते हैं। ये ऑफर फंड प्रोस्पेक्टस (एनएफओ) और वार्षिक रिपोर्ट में निर्दिष्ट होते हैं। इंटरवल म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कुछ फायदे होते हैं जैसे कि उच्च रिटर्न और पोर्टफोलियो का विविधता। इसके अलावा, इस तरह के फंड में रिस्क भी कम होता है क्योंकि लॉक-इन पीरियड के दौरान मार्केट अस्थिरता (volatility) का कोई असर नहीं होता। लेकिन, इस तरह के फंड में कुछ रिस्क भी होते हैं जैसे उच्च प्रारंभिक निवेश और सीमित लिक्विडिटी। इंटरवल म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले, निवेशको को फंड के उद्देश्य और पहले की परफॉर्मेंस को चेक करना चाहिए।
संक्षेप में, इंटरवल म्यूचुअल फंड एक अच्छा निवेश विकल्प हो सकता है उन निवेशकों के लिए जो मार्केट अस्थिरता (volatility) से बचना चाहते हैं और हाई रिटर्न कमाना चाहते हैं। इंटरवल म्यूचुअल फंड के फीचर्स इन्वेस्टर्स के लिए अच्छे होते हैं क्योंकि ये ओपन-एंडेड और क्लोज-एंडेड फंड के फीचर्स को कम्बाइन करते हैं।

संपत्ति निवेश के आधार पर ( Based on Assets Investment )

अधिकांश म्युचुअल फंडों को 4 मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें इक्विटी फंड, बॉन्ड फंड, हाइब्रिड फंड और मनी मार्केट फंड शामिल हैं। यहाँ संपत्ति निवेश के आधार पर म्यूचुअल फंड का विस्तृत वर्गीकरण निम्नलिखित है:-

Based on Assets Investment, संपत्ति निवेश के आधार पर म्युचुअल फंड के प्रकार

इक्विटी म्युचुअल फंड ( Equity Mutual Funds )

इक्विटी फंड्स (स्टॉक फंड्स) मुख्य रूप से कंपनियों के इक्विटी स्टॉक/शेयरों में निवेश करते हैं जैसा कि नाम में निहित है, जैसे नाम है वैसे काम है। इन फंडों से संबंधित प्रॉफिट और लॉस निवेश किए गए शेयरों की स्टॉक मार्केट में प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं (मूल्य बढ़ना या गिरना) । इसलिए, इन्हें हाई-रिस्क फंड माना जाता है, लेकिन इसमें विशाल रिटर्न जेनरेट करने की क्षमता भी होती है। इस ग्रुप में विभिन्न उप-श्रेणियां होती हैं। कुछ इक्विटी फंडों के नाम उनके निवेश दृष्टिकोण के अनुसार होते हैं जैसे ग्रोथ, आय ऑरिएंटेड, वैल्यू और कुछ इक्विटी फंड छोटे, मध्यम या बड़े कैप के हिसाब से नामित किया जाता है जिनमें वे निवेश करते हैं।
वित्तीय नियोजकों की सलाह होती है कि आप उम्र में जितने छोटे हैं, आपके पोर्टफोलियो में उतने ही अधिक इक्विटी फंड शामिल किए जाने चाहिए, क्योंकि आपके पास बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव को संभालने के लिए अधिक समय होता है। ये फंड्स लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करने वाले निवेशको के लिए आइडियल होते हैं जो अपने पोर्टफोलियो में ग्रोथ और विविधता चाहते हैं।
एक महत्वपूर्ण बात जो इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के निवेशकों को ध्यान में रखना चाहिए वह है कि उन्हें फंड के उद्देश्य और पिछले प्रदर्शन को विश्लेषण करना चाहिए। इसके अलावा, निवेशकों को अपने निवेश की अवधि और जोखिम की क्षमता को भी ध्यान में रखना चाहिए।
इक्विटी म्युचुअल फंड एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए लेकिन निवेशकों को अपने निवेश उद्देश्य की जांच के पश्चात उसी के अनुसार निवेश चाहिए।

लार्ज-कैप इक्विटी फंड ( Large-Cap Equity Funds )

लार्ज-कैप फंड अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 75% लार्ज-कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। ये योजनाएं उस कंपनी में निवेश करती हैं जो बाजार पूंजीकरण में 1 से 100 के बीच रैंक करती है। लार्ज-कैप इक्विटी फंड अन्य इक्विटी फंडों की तुलना में कम जोखिम वाले होते हैं।

मिड-कैप इक्विटी फंड ( Mid-Cap Equity Funds )

मिड-कैप फंड अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 60% मिड-कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। ये योजनाएं उस कंपनी में निवेश करती हैं जो बाजार पूंजीकरण में 101 से 250 के बीच रैंक करती है। स्मॉल-कैप फंडों की तुलना में ये फंड कम जोखिम वाले हैं, लेकिन लार्ज-कैप फंडों की तुलना में अधिक हैं।

स्मॉल-कैप इक्विटी फंड ( Small-Cap Equity Funds )

स्मॉल-कैप फंड अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 60% स्मॉल-कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। ये योजनाएं उस कंपनी में निवेश करती हैं जो बाजार पूंजीकरण में 250 के बाद रैंक करती है। ये फंड अन्य-कैप फंडों की तुलना में सबसे अधिक जोखिम वाले हैं, लेकिन इनमें उच्च रिटर्न की क्षमता भी होती है।

बॉन्ड म्यूचुअल फंड ( Bond Mutual Funds )

बॉन्ड फंड्स (डेट फंड्स) को फिक्स्ड इनकम फंड्स भी कहा जाता है। डेट/बॉन्ड फंड्स फिक्स्ड-इनकम म्यूचुअल फंड्स के प्रकार में से अधिक लोकप्रिय है, जिस्मे निवेशको को उनके शुरूआती निवेश पर एक निर्धारित आय दी जाति है (जैसा कि नाम से पता चलता है)। यह फंड्स एकत्रित की गयी राशि को सरकारी प्रतिभूतियो, लिक्विड फंड्स एवं कॉरपोरेट बांड्स जैसी प्रतिभूतियो में निवेश करते हैं।
रिटायरमेंट के पास आने वाले निवेशको को अपने पोर्टफोलियो में अधिक बॉन्ड फंड शामिल करने चाहिए क्योकि बांड फंड्स अपेक्षाकृत कम जोखिम भरे माने जाते हैं, इसमें निवेश एक निश्चित ब्याज दर और परिपक्वता तारीख के साथ किया जाता है। यह निवेश उन निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं, जो अपने निवेश पर नियमित आय (ब्याज और पूंजी की वृद्धि) प्राप्त करने वाले विकल्प की तलाश कर रहे हैं।

हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स ( Hybrid Mutual Funds )

हाइब्रिड फंड्स को एसेट एलोकेशन फंड्स के नाम से भी जाना जाता हैं और इन्हे ही बैलेंस्ड फंड्स के रूप में भी जाने जाते हैं। ये फंड अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग एसेट क्लास में डायवर्सिफाई करते हैं, जिसमे ये इक्विटी और डेट फंड दोनों को शामिल करते हैं, इन एसेट में इनका निवेश अनुपात वेरिएबल या फिक्स्ड भी हो सकता है। ये फंड्स ना सिर्फ कम जोखिम के कारण निवेशकों को आकर्षित करते हैं, बल्कि ये अच्छा खासा रिटर्न भी देते हैं। अगर आपको अपने निवेश में एक कस्टमाइज्ड स्ट्रैटेजी चाहते है, तो यह विकल्प आपके लिए काफी उपाय हो सकता हैं।
हाइब्रिड फंड का प्रयास एक बैलेंस्ड पोर्टफोलियो बनाने का होता है जिससे निवेशकों को निरंतर आय का साधन और लंबी अवधि में उनकी पूंजी को वृद्धि प्रदान की जा सके।

मनी मार्केट म्यूचुअल फंड ( Money Market Mutual Funds )

मनी मार्केट फंड्स एक तरह का फिक्स्ड इनकम म्यूचुअल फंड होता है जिसमे शॉर्ट टर्म डेट फंड जैसे बॉन्ड्स, ट्रेजरी बिल्स, डेटेड सिक्योरिटीज और सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट में निवेश किया जाता है। ये फंड्स दूसरे म्यूचुअल फंड स्कीम्स के मुक़ाबले कम रिस्की होते हैं। मनी मार्केट फंड्स के रिटर्न बॉन्ड या स्टॉक फंड्स के मुक़ाबले कम होते हैं और ये लिक्विडिटी का हाई लेवल बनाए रखते हुए एक साल तक की अवधि में अच्छे रिटर्न्स देने की कोशिश करते हैं।

निवेश उद्देश्य के आधार पर ( Based on Investment Objective )

निवेश करने से पहले, आपको सबसे पहले अपने निवेश उद्देश्य की पहचान करनी चाहिए। यदि आपका उद्देश्य अपनी संपत्ति बढ़ाना, कर बचाना या अल्पावधि मुनाफा कमाना है, तो आपको अपने उद्देश्यों के आधार पर म्यूचुअल फंड का चयन करना चाहिए। निवेश उद्देश्यों के आधार पर निम्नलिखित प्रकार के म्यूचुअल फंड होते हैं :-

Based on Investment Objective, निवेश उद्देश्य के आधार पर म्युचुअल फंड के प्रकार

ग्रोथ म्यूचुअल फंड ( Growth Mutual Funds ) 

ग्रोथ फंड्स मुख्य रूप से इक्विटी मार्केट और ग्रोथ सेक्टर में निवेश करते हैं, जिसमें कैपिटल एप्रिसिएशन के लक्ष्य के साथ निवेश किया जाता है। ग्रोथ फंड्स, जैसा कि नाम से पता चलता है, ये फंड्स निवेशकों को उनकी पूंजी में ग्रोथ प्रदान करने के उद्देश्य से आमतौर पर औसत से ज्यादा रिटर्न वाले इक्विटी को टारगेट करते हैं और उसमे निवेश करते हैं, जिससे इनवेस्टर्स को ज्यादा रिटर्न मिलते हैं। ग्रोथ फंड्स के इन्वेस्टमेंट्स के रिटर्न में इनका डिविडेंड पेआउट बहुत कम डिविडेंड देते है या कोई डिविडेंड नहीं देते हैं। ग्रोथ फंड्स अपनी रिटर्न को वापिस इन्वेस्ट करके एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) को बढ़ाते हैं। इसका मतलब है कि निवेशकों को ज्यादा यूनिट मिलते हैं और उनके द्वारा निवेश की गयी पूंजी की वैल्यू बढ़ती है।
ग्रोथ फंड्स की एक महत्वपूर्ण बात ये है कि उनमें निवेश करने से ज्यादा कैपिटल एप्रिसिएशन की जयादा संभावना होती है, लेकिन उनका रिस्क फैक्टर भी ज्यादा होता है। क्योंकि ये फंड ज्यादातर इक्विटी मार्केट में निवेश करते हैं, इसलिए बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ उनके रिटर्न में भी उतार-चढ़ाव करते रहते हैं। इसलिए, ये फंड्स जिनके लिए निवेश लक्ष्य लॉन्ग टर्म होता है और जिनके पास जोखिम सहनशीलता ज्यादा होती है, उनके लिए अधिक उपयुक्त होते हैं।

इनकम / आय म्यूचुअल फंड ( Income Mutual Funds )

इनकम फंड्स एक प्रकार के डेट म्यूचुअल फंड होते हैं। इनकम फंड्स जैसा की नाम से पता चलता है, इनका मक़सद निवेशकों को नियमित आय प्रदान करना होता है। ये फंड मुख्य रूप से गवर्मेंट सिक्योरिटीज, बॉन्ड, सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट और डिबेंचर जैसे एसेट्स के मिश्रण में फंड को वितरित करते हैं। ये फंड्स निश्चित ब्याज दर और निश्चित परिपक्वता वाले होते हैं और निवेशकों को निश्चित आय प्रदान करते हैं। इनकम फंड्स के इन्वेस्टमेंट्स के रिटर्न्स का डिस्ट्रीब्यूशन रेगुलर होता है और इससे इन्वेस्टर्स को नियमित इनकम प्राप्त होती है, हालांकि, इनकम फंड्स में कैपिटल एप्रिसिएशन लिमिटेड रहती है। लेकिन इसके साथ-साथ इनकम फंड्स का रिस्क फैक्टर भी कम होता है। ये फंड्स काफी सेफ और सिक्योर होते हैं क्योंकि इनवेस्टमेंट मुख्य रूप से फिक्स्ड इनकम एसेट्स में किए जाते हैं।
इनकम फंड उनके लिए उपयुक्त होते हैं जिनके लिए स्थिर आय और पूंजी संरक्षण ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। ये फंड उनके लिए उपयुक्त होते हैं जो अपने अल्पकालिक वित्तीय लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं। इनकम फंड्स में निवेश करने से निवेशकों को नियमित आय मिलती है और इससे उनकी वित्तीय स्थिरता में भी सुधार होता है।

टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड / ईएलएसएस ( Tax-Saving Mutual Funds / ELSS )

निवेश एक जरूरी तरीका है अपनी कमाई को बचाने और फ्यूचर के लिए तैयार रहने का। लेकिन क्या आप जानते हैं कि म्युचुअल फंड में निवेश करके भी आप अपनी टैक्स देनदारी को भी कम कर सकते हैं? अथार्त कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जी हां, ऐसा हो सकता है टैक्स सेविंग फंड्स (ईएलएसएस) के द्वारा।
यह फंड एक ऐसा फंड है जो निवेशकों को टैक्स बेनिफिट देता है। ये फंड्स मुख्य रूप से इक्विटी शेयरों में निवेश करते हैं जो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन क्वालिफाई करने वाली स्कीम्स होती हैं, लेकिन ये फंड्स कम से कम 3 साल के लॉक-इन पीरियड वाले होते है। अन्य कर-बचत निवेश विकल्पों की तुलना में ये सबसे छोटा लॉक-इन पीरियड होता है जैसे PPF, NSC, और FD, आमतौर पर 5 साल का लॉक-इन पीरियड, या उससे भी ज्यादा होता है। लेकिन टैक्स-सेविंग फंड्स के निवेश में जोखिम भी होता है। ये फंड मुख्य रूप से इक्विटी शेयर में निवेश करते हैं, जिस बाजार के उतार-चढ़ाव का असर उनकी परफॉर्मेंस पर भी होता है। ये फंड हाई रिस्क कैरी कर सकते हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव के साथ-साथ वेतनभोगी इनवेस्टर्स के लिए बेस्ट-सूट होते हैं

लिक्विड म्यूचुअल फंड ( Liquid Mutual Funds )

निवेश करते समय न केवल लंबी अवधि में ग्रोथ, बल्कि अल्पकालिक तरलता का भी विचार करना चाहिए। और अगर आप शॉर्ट-टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए एक सेफ और फ्लेक्सिबल विकल्प ढूंढ रहे हैं, तो लिक्विड फंड्स एक अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं। लिक्विड फंड भी डेट फंड कैटेगरी में आते हैं, जो मुख्य रूप से शॉर्ट-टर्म डेट या वेरी शॉर्ट-टर्म डेट इंस्ट्रूमेंट्स में इनवेस्ट करते हैं, जैसे टी-बिल्स ( Treasury bills ), सीडी ( Certificate of Deposit ), कमर्शियल पेपर, और दूसरे शॉर्ट-टर्म सिक्योरिटीज जो 91 दिन (3 महीने) ) तक के परिपक्वता वाले होते हैं।
लिक्विड फंड्स के मुख्य उद्देश्य है निवेशकों को उच्च स्तर की लिक्विडिटी प्रदान करना। ये म्युचुअल फंड कम जोखिम वाले होते हैं और उचित रिटर्न भी ऑफर करते हैं। लिक्विड म्यूचुअल फंड शॉर्ट-टर्म इनवेस्टमेंट के लिए एक अच्छा ऑप्शन होते हैं क्योंकि इनवेस्टर्स अपने पैसे को बहुत ज्यादा समय तक लॉक-इन नहीं रखते हैं और इससे निवेशकों को जरूरत पड़ने पर पैसे को वापस लेने का लचीलापन मिलता है और वो अपना शॉर्ट-टर्म वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलती है।
इसलिए, ये फंड्स उन इनवेस्टर्स के लिए उपयुक्त होते हैं जो शॉर्ट-टर्म लिक्विडिटी और लो रिस्क के साथ उचित रिटर्न चाहते हैं।

पेंशन म्यूचुअल फंड ( Pension Mutual Funds )

पेंशन म्यूचुअल फंड का इस्तेमाल रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए किया जाता है। यह रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ये लंबी अवधि की योजनाएं होती हैं जो निवेशकों को सेवानिवृत्त के करीब या सेवानिवृत्त होने के बाद एक स्थायी रिटर्न प्रदान करती हैं। पेंशन फंड अपने निवेश को डेट और इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स के बीच बंटते हैं ताकि रिस्क और रिटर्न्स का प्रबंधन किया जा सके, इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स निवेश का जोखिम भरा हिस्सा होता हैं लेकिन अधिक रिटर्न्स भी प्रदान करते हैं, जबकी डेट इंस्ट्रूमेंट्स रिस्क को बैलेंस करते हैं ये कम लेकिन लगातार रिटर्न देते हैं। एक अच्छा वित्तीय विशेषज्ञ आपको सलाह देगा कि आप अपने सेवानिवृत्ति के बाद के वर्षों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से बचत पर निर्भर न रहें, क्योंकि बचत, चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, एक दिन समाप्त हो जाती है।
इन फंड्स का लक्ष्य है निवेशकों को रेगुलर रिटर्न प्रदान कराना होता है ताकि रिटायरमेंट के समय उनके पास पर्याप्त धन हो और वो अपने रिटायरमेंट के सालों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र तरीके से गुजार सके। पेंशन फंड में, निवेशकों के पास नियमित आय या एकमुश्त भुगतान चुनने का विकल्प होता है। ये भुगतान विकल्प इन्वेस्टर्स के रिटायरमेंट प्लानिंग के अनुसार होता है, जैसे उनकी जरूरत और फाइनेंशियल स्थिति पर।
एक महत्वपूर्ण बात है कि पेंशन फंड में निवेश करने से पहले निवेशकों को फंड के लॉक-इन पीरियड, फीस और चार्ज को समझना चाहिए। फंड के प्रदर्शन, फंड मैनेजर के अनुभव, और ऐतिहासिक रिटर्न को भी मूल्यांकन करना चाहिए। एक बार इनवेस्टर्स को सही जानकारी मिल जाए तो वो अपने रिटायरमेंट के सालों के लिए एक समृद्ध विकल्प को चुन सकते हैं।

जोखिम मूल्यांकन के आधार पर ( Based on Risk Assessment )

हर निवेश के साथ जोखिम जुड़ा होता है और म्युचुअल फंड योजनाएं भी निवेश का एक प्रकार है तो यह इससे अलग नहीं होता हैं। एक निवेशक के तौर पर, आपको ये पता होना चाहिए कि आपके प्रोफाइल के अनुसर कौन से फंड सबसे अच्छे हैं और आपको बेहतर लाभ दिलाएंगे। जोखिम के आधार पर निम्नलिखित प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड होते हैं :-

Based on Risk Assessment, जोखिम मूल्यांकन के आधार पर म्युचुअल फंड के प्रकार

कम जोखिम फंड ( Low Risk Funds )

ये म्युचुअल फंड वो होते हैं जिनमें उन लोगों द्वारा निवेश किया जाता है जो जोखिम से दूर रहना पसंद करते हैं। जैसे कि नाम से ही पता चलता है, कम जोखिम वाले म्यूचुअल फंड वो निवेश विकल्प होते हैं जिनमें न्यूनतम जोखिम और सुनिश्चित स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं। ऐसी योजनाएँ डेट मार्केट में, जैसे की लिक्विड फंड्स, शॉर्ट-टर्म फंड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज और लॉन्ग-टर्म फंड्स में निवेश करती है। गिल्ट फंड कम जोखिम वाली निवेश योजना का एक उदाहरण है।

मध्यम जोखिम फंड ( Medium Risk Funds )

ये म्युचुअल फंड वो होते हैं जिनमें ऐसे लोग निवेश करते हैं जो लंबी अवधि में संपत्ति बनाना पसंद करते हैं। इस+ प्रकार के म्यूचुअल फंड में मध्यम जोखिम होता है और स्थायी रिटर्न उत्पन्न करने के लिए डेट और इक्विटी दोनों प्रतिभूतियों में निवेश करता है। मध्यम जोखिम वाले फंडों में तीन से पांच साल का एक आदर्श निवेश क्षितिज होता है।

उच्च जोखिम फंड ( High Risk Funds )

म्युचुअल फंड में निवेश मध्यम जोखिम भरा है। दूसरी ओर, उच्च जोखिम वाले म्युचुअल फंड उन निवेशकों के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं जो अधिक जोखिम लेने के लिए तैयार हैं और अपनी संपत्ति को जल्दी बढ़ाने की इच्छा रखते हैं। भले ही इन फंडों के साथ जोखिम अधिक हैं, लेकिन ये फंड औसत रिटर्न को मात देने वाले रिटर्न भी प्रदान करते हैं।
इसलिए, अपने रिस्क प्रोफाइल और निवेश लक्ष्य के अनुसर, आपको समझना चाहिए कि किस प्रकार के म्यूचुअल फंड आपके लिए सबसे अच्छे हैं और आपको बेहतर लाभ दिला सकते हैं।

विशेष लाभ के आधार पर ( Based on Special Benefits )

म्युचुअल फंड निवेश विकल्प हैं जो विभिन्न प्रकार के होते हैं। एक प्रकार विशेष लाभ या विशेषता पर आधारित होता है और ये म्यूचुअल फंड निवेशकों को विशेष लाभ प्रदान करते हैं। आइए विशेष लाभ/विशेषता के आधार पर विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंडों पर एक नज़र डालें :-

Based on Special Benefits, विशेष लाभ के आधार पर म्युचुअल फंड के प्रकार

सेक्टर म्यूचुअल फंड ( Sector Mutual Funds )

सेक्टर फंड्स को थीम आधारित म्यूचुअल फंड्स के नाम से भी जाने जाते हैं, जो की एक विशेष इंडस्ट्री के शेयर में लगाए जाने वाले म्यूचुअल फंड होते हैं। इन फंड्स में इन्वेस्टमेंट किसी एक इंडस्ट्री के शेयर पर की जाति है, इसलिए इसमें रिस्क एलिमेंट काफी अधिक होता है, लेकिन इनके साथ जुड़ा रिस्क इंडस्ट्री के परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है। अगर किसी सेक्टर में सभी शेयर एक जैसे परफॉर्म करते हैं, तो सेक्टर फंड्स की पोर्टफोलियो की डायवर्सिफिकेशन कम हो जाती है। इस तरह के फंड के रिटर्न भी उन शेयरों के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं।
सेक्टर फंड के माध्यम से निवेशकों अपने पोर्टफोलियो में किसी विशेष उद्योग या सेक्टर के स्टॉक शामिल कर सकते है और अपने निवेश को लक्षित कर सकते हैं। इन फंड्स के माध्यम से इनवेस्टर्स किसी विशेष सेक्टर के लाभ प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इन फंड्स में जोखिम भी अधिक होती है। लेकिन फंड्स में परफॉर्मेंस और रिस्क दोनों काफी प्रभावशाली होते हैं, इसमें उन्हें चुनने से पहले इनवेस्टर्स को अपना फाइनेंशियल गोल्स और रिस्क टेकिंग कैपेसिटी का ध्यान रखना चाहिए। अगर किसी सेक्टर में आर्थिक मंदी या किसी और प्रकार की समस्या आती है, तो इसके शेयर कीमतों में गिरावत आने की संभावना होती है। इसलिए सेक्टर फंड्स में निवेश करने से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करना बहुत जरूरी है।

इंडेक्स म्यूचुअल फंड ( Index Mutual Funds )

इंडेक्स म्युचुअल फंड्स को इंडेक्स-टाईड या इंडेक्स-ट्रैक्ड म्युचुअल फंड के नाम से भी जाना जाता हैं, जो एक विशिष्ट इंडेक्स पर ट्रेड करने वाले जाने वाले सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं, जैसे कि बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी 50। ये फंड पैसिवली मैनेज होते हैं, पर इनकी लोकप्रियता हाल ही में बढ़ गई है। ये फंड आम तौर पर सुरक्षित और लम्बे समय के निवेश के लिए उचित माने जाते हैं। लम्बे समय के लिए ये फंड अक्सर सक्रिय प्रबंधित फंड से भी बेहतर लाभ देते हैं।
इंडेक्स म्यूचुअल फंड में, फंड मैनेजर सिक्योरिटीज के चुनाव और खरीद पर काम नहीं करता है, बल्कि इंडेक्स के अनुसार समय-समय पर निवेश का आवंटन करता है। ये फंड बिना किसी एक्टिव मॉनिटरिंग के इंडेक्स को रिपीट करते हैं। इन फंड्स की खरीदारी और बिकरी में कम कमीशन होता है, क्योंकि ये पैसिवली मैनेज होते हैं।
इंडेक्स म्यूचुअल फंड में निवेश करने से निवेशकों को पोर्टफोलियो की अच्छी डायवर्सिफिकेशन मिल जाती है। ये फंड निवेश के लिए कम रिस्क वाले होते हैं क्योंकि ये किसी एक स्टॉक या सेक्टर में निवेश नहीं करते हैं। ये फंड्स स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव से भी काम प्रभावित होते हैं। इनकी साधारण और सुरक्षा के कारण इंडेक्स म्यूचुअल फंड्स से शुरू और लम्बे समय के लिए निवेश करने के लिए इनवेस्टर्स को काफी प्रभावित किया जाता है।
सबसे बड़ी विशेष इंडेक्स म्यूचुअल फंड की है कि ये फंड लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिए बेहद उपयोगी होते हैं। इनकी प्रकृति बहुत सुरक्षित है। ये फंड किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो में सबसे अच्छी तरह से डायवर्सिफिकेशन की गारंटी देते हैं।

फंड्स ऑफ़ फंड्स ( Fund of funds )

फंड ऑफ फंड्स को दूसरे म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वाला म्यूचुअल फंड स्कीम भी कहा जाता है। इसमें सीधे तौर पर मार्केट में निवेश करने केबजाय, फंड मैनेजर दूसरे म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में निवेश करता है। इसकी रिटर्न भी दूसरे फंड के कार्य पर निर्भर करती है जहां ये पैसा लगता है। ये मल्टी-मैनेजर फंड के रूप में भी पहचानते हैं। लेकिन, इन सभी फंडों के निवेश में निवेशकों को दोगुना खर्चा भुगतान करना होता है।
फंड ऑफ फंड्स स्कीम्स का उपयोग फंड मैनेजर्स की क्षमता और विशेषज्ञों की मदद से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार के फंड कई तरह के एसेट क्लास में भी निवेश कर सकते हैं। इसका एक बड़ा फायदा ये है कि निवेशक को एक साथ कई तरह के म्युचुअल फंड्स का पोर्टफोलियो मिलता है और ये बहुत कम रिस्क के साथ होता है।
फंड ऑफ फंड्स के रूप में निवेश करने से निवेश को कई तरह के और एक जैसा प्रभाव प्रदान करने वाले दूसरे म्यूचुअल फंड की तलाश करने की जरूरत नहीं होती है। इसके साथ ही, निवेश को अपने लिए सबसे अच्छे म्यूचुअल फंड के चयन करने की भी जरूरत नहीं होती है, क्योंकि फंड मैनेजर उसके लिए सब कर देता है।
लेकिन, निवेशक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फंड ऑफ फंड्स में निवेश करने से पहले खर्चा अनुपात को ध्यान से देखना चाहिए और सिर्फ इसके बाद ही निर्णय लेना चाहिए

उभरते ( इमर्जिंग ) मार्केट म्युचुअल फंड्स ( Emerging Market Mutual Funds )

इमर्जिंग मार्केट फंड वे फंड होते हैं जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बाजारों में निवेश करते हैं जिनमें भविष्य की मजबूत संभावनाएं होती हैं। इसके लिए फ्यूचर एक्सपेंशन की संभावनाओं को ध्यान में रखकर विचार किया जाता है। ये फंड अत्यधिक जोखिम भरे होते हैं क्योंकि राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता की संभावना रहती हैं। जैसा की सभी मार्केट्स में होता है, ये भी मार्केट स्विंग्स के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।
इमर्जिंग मार्केट फंड्स (ईएमएफ) एक प्रकार के म्युचुअल फंड होते हैं, जो इमर्जिंग इकोनॉमी के स्टॉक और बॉन्ड में निवेश करते हैं। ये फंड मुख्य रूप से विकासशील देशों के बाजारों में निवेश करते हैं, जैसे कि भारत, ब्राजील, मैक्सिको, और तुर्की, जहां पे उच्च विकास क्षमता है। उभरते बाजार अक्सर अस्थिर होते हैं, इसलिए ईएमएफ भी उच्च जोखिम वाले फंड में से होते हैं। उसी के साथ साथ उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में विकास की संभावना ज्यादा होता है और कंपनियां भी विकासोन्मुख होती हैं, इसलिए निवेशकों को दीर्घावधि निवेश के लिए अवसर मिल सकते हैं।
ईएमएफ में निवेश करने से पहले निवेशकों को सावधानीपूर्वक शोध करना चाहिए, जैसे कि फंड मैनेजर, फंड प्रदर्शन, निवेश रणनीति, और जोखिम के बारे में। ये फंड लंबी अवधि के निवेश के अवसर प्रदान करते हैं, लेकिन अल्पकालिक में उतार-चढ़ाव भी हो सकते हैं। कुल मिलाकर, इमर्जिंग मार्केट फंड हाई-रिस्क इन्वेस्टमेंट होते हैं, लेकिन इनमें पोटेंशियल भी ज्यादा होता है। ये फंड अनुभवी निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं, जो बाजार की अस्थिरता के जोखिमों को सहन कर सकते हैं ।

अंतर्राष्ट्रीय म्युचुअल फंड ( International Mutual Funds )

इंटरनेशनल म्युचुअल फंड्स या फॉरेन फंड्स वे निवेश होते हैं जो विदेशी देश में स्थित काई कंपनियों में निवेश करता है। ये देश के बाहर में संभव कंपनी के शेयर और सिक्योरिटीज में निवेश करता है। 
कई निवेशक विदेशी देश में निवेश करना चाहते हैं। ये उन निवेशकों को ये अवसर देते हैं कि उनका पोर्टफोलियो इंटरनेशनल मार्केट के साथ जुड़ जाए। ये फंड्स इनवेस्टर के लिए रिस्क के साथ-साथ ज्यादा रिटर्न भी देते हैं। अंतर्राष्ट्रीय फंड मुद्रा जोखिम के अधीन हैं, और उनके रिटर्न मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होते हैं।
लेकिन एक बात का खास ध्यान रखें, इंटरनेशनल फंड्स में निवेश करने से पहले आपको समझना चाहिए कि आपकी निवेश के नियम, देश के बाहर की मानसिकता और आर्थिक स्थिति से कैसे मिलते हैं।

वैश्विक म्युचुअल फंड ( Global Mutual Funds )

ग्लोबल फंड वे फंड होते हैं जिनका निवेश दुनिया में कहीं भी स्थित कंपनियों में किया जा सकता है। ग्लोबल फंड्स और इंटरनेशनल फंड्स काफी अलग हैं, हालांकि समान मौखिक अर्थ साझा करते हैं। जबकि इंटरनेशनल म्युचुअल फंड्स मुख्य रूप से विदेशों में निवेश करते हैं, लेकिन वैश्विक निधियों में, दुनिया में कहीं भी निवेश किया जा सकता है, यहां तक कि निवेशक का अपना देश भी शामिल है।

रियल एस्टेट म्युचुअल फंड ( Real estate Mutual Funds )

ये फंड उन कंपनियों में निवेश करते हैं जो रियल एस्टेट इंडस्ट्री में काम करते हैं। ये फंड रिटेलर, रियल एस्टेट डेवलपर्स, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंपनियों या रियल एस्टेट उधारदाताओं में भी निवेश कर सकते हैं। ये सेक्टर फंड होते हैं जो कि रियल एस्टेट वेंचर्स के फाइनैंस वाली कंपनियों के इश्यू सिक्योरिटीज में भी इनवेस्ट करते हैं। इन कंपनियों में इन्वेस्ट किसी भी प्रोजेक्ट के लेवल पर किया जा सकता है, चाहे वो अभी डिजाइन स्टेज में हो, आंशिक रूप से किए गए हों, या फिर पूरा पूरा हो चूका हो। इसमें निवेश करने से पहले निवेशक को इस क्षेत्र के जोखिम और अवसर के बारे में अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए।

कमोडिटी-केंद्रित स्टॉक म्युचुअल फंड ( Commodity-focused Stock Mutual Funds )

कमोडिटी फोकस्ड स्टॉक फंड उन कंपनियों में निवेश करते हैं जो कमोडिटी बाजार से संबंधित हैं, जैसे कि खनन कंपनियां या व्यवसाय जो कोयला, कच्चा तेल, सोना या अन्य सामग्रियों का उत्पादन करते हैं। हालांकि ये फंड सीधे कमोडिटीज में निवेश नहीं करते हैं, लेकिन सोना ही एकमात्र ऐसी कमोडिटी है जिसमें वे सीधे निवेश कर सकते हैं, अन्य सभी कमोडिटीज के लिए, वे कमोडिटीज में डील करने वाली कंपनियों से फंड यूनिट या शेयर खरीद सकते हैं। ये फंड उन निवेशकों के लिए एकदम सही हैं जो अपनी होल्डिंग में विविधता लाना चाहते हैं।

मार्केट न्यूट्रल म्युचुअल फंड ( Market Neutral Mutual Funds )

वे फंड होते हैं जो सीधे बाजार में निवेश नहीं करते। इन्हें ट्रेजरी बिल, ईटीएफ और अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करके स्थिर और पूर्वानुमानयोग्य लाभ की प्राप्ति करने की कोशिश की जाती है। ये फंड अधिक रिस्क अनुकूलता के साथ अच्छे रिटर्न प्रदान करते हैं, जिससे छोटे निवेशक भी पोर्टफोलियो की सीमाओं को पार किए बिना बाजार को मात दे सकते हैं।

उल्टे / लेवरेज म्युचुअल फंड ( Inverse/Leveraged Mutual Funds )

उल्टे / लेवरेज फंड वास्तव में सामान्य म्यूचुअल फंडों की तरह काम नहीं करते हैं। जब बाजार गिरता है, तब इन फंडों को लाभ होता है और जब बाजार ऊपर जाता है तो उन्हें नुकसान होता है। इन फंडों में लाभ या हानि का बहुत अधिक खतरा होता है जो बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।
उल्टे / लेवरेज फंड विभिन्न शेयरों के मूल्यों के ऊपर निवेश करते हैं। अपने पोर्टफोलियो को लेकर अधिक रिस्क लेने वाले निवेशकों के लिए ये फंड अच्छे होते हैं। इन फंडों को समझना और उनमें निवेश करना अधिक आम निवेशकों के लिए बहुत मुश्किल हो सकता है। इन फंडों में निवेश करने से पहले निवेशकों को अपनी वित्तीय योजना को ध्यान में रखते हुए निवेश करना चाहिए।

एसेट एलोकेशन म्युचुअल फंड ( Asset Allocation Mutual Funds )

एसेट एलोकेशन फंड दो तरह के फंड होते हैं- टारगेट डेट फंड और टारगेट एलोकेशन फंड। यह एक ऐसा प्रकार का म्युचुअल फंड है जो वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए संपत्ति आवंटित करने के तरीके को बदलने के लिए फंड मैनेजर को लचीलापन प्रदान करते हैं। जिससे लक्षित नतीजो को प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है। यहां, फंड प्रबंधन बाजार में बदलाव के अनुसार वास्तविक समय में स्टॉक, डेट, गोल्ड और हाइब्रिड के बीच एसेट एलोकेशन को बदलता है।
ऐसे तो मार्केट में कई प्रकार के म्युचुअल फंड उपलब्ध है, लेकिन एसेट एलोकेशन म्युचुअल फंड एक ऐसा प्रकार का फंड है जिस्मे पोर्टफोलियो मैनेजर को अपने धन को सही दिशा में बदलने की सुविधा प्रदान की जाती है।
टारगेट डेट फंड में, पोर्टफोलियो मैनेजर निवेशक के टारगेट डेट को ध्यान में रखते हुए उसके धन को विभाजित करता है। जैसे ही टारगेट डेट के पास आते हैं, स्टॉक और इक्विटी से डेट और बॉन्ड की तरफ निवेश करने की दिशा बदली जाती है। इस फंड की विशिष्टता ये है कि ये समय के अनुसार खुद ही अपना एसेट एलोकेशन बदल देता है।
टारगेट एलोकेशन फंड में, पोर्टफोलियो मैनेजर निवेश के इच्छा के धन के वितरण में बदलाव करता है। जैसे ही निवेश अपना वितरण बदलना चाहता है, पोर्टफोलियो मैनेजर उसके निवेश को स्टॉक, डेट, गोल्ड और हाइब्रिड के बीच से परिवर्तन कर देता है।

उपहार म्युचुअल फंड ( Gift Mutual Funds )

क्या आपने प्रियजानो की आर्थिक सुरक्षा के लिए म्यूचुअल फंड या एसआईपी ( SIP ) देना चाहते हैं? जी हां, अब आप ऐसा कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड या एसआईपी की भेंट के माध्यम से आप अपने प्रियजनों को आर्थिक सुरक्षा और लाभ प्रदान कर सकते हैं।
जब आप गिफ्ट म्यूचुअल फंड या एसआईपी देंगे, तो आपको ध्यान रखना होगा कि आपके प्रियजानो के लिए सही म्यूचुअल फंड या एसआईपी सेलेक्ट करें, जो उनके निवेश की जरूरत को पूरा करें। इसके अलावा, सही निवेश समय और निवेश की राशि भी ध्यान में रखना होगा।

गिल्ट म्युचुअल फंड्स ( Gilt Mutual Funds )

गिल्ट फंड ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जहां लंबी अवधि के लिए सरकारी प्रतिभूतियों में फंड का निवेश किया जाता है। सरकार सिक्योरिटीज में गए इनवेस्टमेंट के कारण इसमें लगभग कोई रिस्क नहीं होता है, इसलिए ये इन्वेस्टमेंट रिस्क से बचना पसंद करने वालों के लिए परफेक्ट होते हैं।
गिल्ट फंड्स के अंदर सरकारी सुरक्षा बांड योजना में किए गए निवेश के अलावा कोई भी दूसरी निवेश नहीं की जाती है। इन फंड्स में पैसा लगाने से पहले एक बार समझ लेना जरूरी है कि ये आपके निवेश को निवेश की तरह डबल या ट्रिपल तक तो नहीं कर सकेंगे। इसमें पैसा लगाने से पहले रिसर्च और नॉलेज को जमा करना चाहिए।

कैपिटल प्रोटेक्शन म्युचुअल फंड ( Capital Protection Mutual Fund )

कैपिटल प्रोटेक्शन फंड का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि पूंजी सुरक्षित है, इसलिए इन फंड को इक्विटी और फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज के बीच विभाजित किया जाता है। कैपिटल प्रोटेक्शन फंड्स का पोर्टफोलियो इक्विटी और डेट (फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज) का मिश्रण होता है, जिसमें अधिकांश पोर्टफोलियो डेट में निवेश किया जाता है और इक्विटी में केवल एक छोटा सा हिस्सा होता है।

निश्चित परिपक्वता म्युचुअल फंड ( Fixed Maturity Mutual Fund )

फिक्स्ड मैच्योरिटी फंड वे फंड होते हैं जो उन सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जिनकी एक निश्चित परिपक्वता अवधि होती है। इनमें फंड्स बॉन्ड और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में आवंटित किए जाते हैं। इन निवेशों की एक सेट मेच्योरिटी डेट होती है। फिक्स्ड मैच्योरिटी फंड्स एक क्लोज-एंडेड स्कीम की तरह काम करते हैं, जिसमें लॉक-इन अवधि एक महीने से लेकर पांच साल तक हो सकती है (जैसे एफडी)।
फिक्स्ड मैच्योरिटी फंड्स के इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो में मैच्योरिटी डेट तक होल्ड किए जाने वाले सिक्योरिटीज शामिल होते हैं। परिपक्वता तिथि के बाद, निवेशकों को अपने निवेशित राशि के साथ ब्याज भी मिलता है। ये म्युचुअल फंड कंजर्वेटिव इनवेस्टर्स के लिए एक अच्छा इनवेस्टमेंट ऑप्शन है क्योंकि ये लगभग रिस्क-फ्री होते हैं और फिक्स्ड इनकम के साथ-साथ इंटरेस्ट भी देते हैं। इसलिए, ये फंड ज्यादातर रिटायरमेंट और लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
इस तरह के फंड्स का एक मुख्य फायदा है कि उनमें फिक्स्ड इन्वेस्टमेंट पीरियड होता है, जिसकी वजह से इनवेस्टर अपनी इनवेस्टमेंट का समय और रिटर्न दोनो पहले से ही जान लेता है। लेकिन इसके साथ ही, फिक्स्ड मैच्योरिटी फंड्स में लिक्विडिटी का मुद्दा हो सकता है, क्योंकि निवेशक अपने फंड्स को मैच्योरिटी डेट तक होल्ड करना ही होता है।
लेकिन, निवेश के साथ रिस्क फ्री रिटर्न की उम्मीद नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ब्याज दरें और बाजार की स्थितियों में बदलाव के कारण, रिटर्न में बदलाव हो सकता है।

एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs)

एक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को अपने आप में एक म्यूचुअल फंड नहीं माना जाता है बल्कि एक विकल्प है जिसे आप निवेश के लिए उपयोग कर सकते हैं। ये ऐसे फंड हैं जो ओपन-एंडेड और क्लोज-एंडेड म्यूचुअल फंड का का मिश्रण होते हैं और जो स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं और वहां पे रेगुलर इक्विटी की तरह ट्रेड किए जाते हैं । ईटीएफ एक म्यूचुअल फंड के समान है जिसमें वास्तविक समय में उस कीमत पर कारोबार किया जा सकता है जो एक कारोबारी दिन के दौरान कई बार ऊपर और नीचे जा सकता है। ये फंड आपको अच्छी लिक्विडिटी लेवल प्रदान करते हैं। ईटीएफ म्युचुअल फंड से सस्ता होता है, क्योंकि ये एक्टिवली मैनेज्ड नहीं होते हैं बल्की पैसिव मैनेज्ड होते हैं।
ईटीएफ एक बहुत अच्छा निवेश विकल्प है जो कि कम लागत के साथ आपको पोर्टफोलियो विविधीकरण और तरलता प्रदान करता है। इनवेस्ट करने के लिए आपको डीमैट अकाउंट होना चाहिए। ईटीएफ एक बास्केट ऑफ स्टॉक या बॉन्ड होते हैं जो कि इंडेक्स के हिसाब से मैनेज किए जाते हैं। ईटीएफ बहुत सारे सेक्टर और इंडस्ट्रीज में उपलब्ध है जैसे इक्विटी ईटीएफ, बॉन्ड ईटीएफ, कमोडिटी ईटीएफ, सेक्टोरल ईटीएफ, इंटरनेशनल ईटीएफ आदि।
निवेश करने से पहले अपने जोखिम प्रोफाइल और निवेश लक्ष्य को ध्यान में रखकर ईटीएफ के बारे में अच्छे से रिसर्च करके निवेश करना चाहिए।

Frequently Asked Questions (FAQs) :

  • क्या मैं अपनी होल्डिंग वापस म्युचुअल फंड कंपनी को बेच सकता हूं अगर म्युचुअल फंड क्लोज एंडेड स्कीम में है तो ?
नहीं, आप अपनी क्लोज एंडेड म्युचुअल फंड इकाइयों या शेयरों को खरीदने के बाद वापस नहीं बेच सकते। आप स्टॉक एक्सचेंज में इकाइयों को उनकी मौजूदा कीमतों पर बेचने का विकल्प चुन सकते हैं।

  • यदि मैं म्यूचुअल फंड में सुरक्षित रूप से निवेश करना चाहता हूं और सुनिश्चित रिटर्न प्राप्त करना चाहता हूं, तो मुझे किस प्रकार की योजना में निवेश करना चाहिए ?
म्युचुअल फंड में सुरक्षित निवेश करते हुए निश्चित रिटर्न की तलाश करने वाले निवेशको के लिए डेट फंड में निवेश सही समाधान है। ये फंड डेट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे सरकारी बॉन्ड, कॉरपोरेट डिबेंचर और अन्य फिक्स्ड इनकम एसेट्स में निवेश करते हैं।

  • म्यूचुअल फंड के 4 मुख्य प्रकार क्या हैं ?
अधिकांश म्युचुअल फंडों को 4 मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें इक्विटी फंड, बॉन्ड फंड, हाइब्रिड फंड और मनी मार्केट फंड शामिल हैं।

  • अगर मैं अपनी सेवानिवृत्ति के बाद एक स्थिर आय प्राप्त करना चाहता हूँ तो कौन सा म्यूचुअल फंड मेरे लिए सबसे अच्छा है ?
अगर आप लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश कर अपने रिटायरमेंट के समय नियमित रिटर्न की तलाश में हैं, तो पेंशन फंड आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।

  • यदि मैं निवेश से कर लाभ प्राप्त करना चाहता हु तो किस प्रकार के म्युचुअल फंड कर लाभ प्रदान करते हैं ?
यदि आपके निवेश का मुख्य लक्ष्य कर लाभ प्राप्त करना है, तो आप टैक्स -सेविंग फंड या ईएलएसएस में निवेश कर सकते हैं। यह योजना यूनिटधारकों को आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कर लाभ प्रदान करती है।

  • कोई निवेशक म्यूचुअल फंड कैसे खरीद और बेच सकता है ?
एक निवेशक सीधे एसेट मैनेजमेंट कंपनी से या किसी फंड ब्रोकर के माध्यम से म्यूचुअल फंड शेयर खरीद और बेच सकता है।

  • क्या डेट फंड जोखिम मुक्त होते हैं ?
नहीं, डेट फंड जोखिम मुक्त नहीं होते हैं। हालांकि, अगर आप उनकी तुलना इक्विटी फंड से करते हैं, तो वे कम जोखिम वाले होते हैं क्योंकि वे इक्विटी मार्केट में निवेश नहीं करते हैं या बहुत कम निवेश करते हैं।

  • कौन सा विकल्प बेहतर है, एफडी या म्यूचुअल फंड ?
एफडी और म्यूचुअल फंड दो पूरी तरह से अलग-अलग तरह के निवेश हैं, और प्रत्येक को अलग-अलग लक्ष्यों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। एफडी रिटर्न की गारंटी देते हैं, लेकिन वे महंगाई को खासा मात नहीं देते। दूसरी ओर, म्युचुअल फंड अक्सर महंगाई को मात देते हैं। इसलिए, एफडी अल्पकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प हैं। म्युचुअल फंड का उपयोग आपके मध्यम और लंबा-टर्म लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भी किया जा सकता है।

  • किस तरह के म्युचुअल फंड सबसे ज्यादा फीस चार्ज करते हैं ?
सबसे ज्यादा फीस आमतौर पर एक्टिव म्यूचुअल फंड चार्ज करते हैं। सक्रिय फंड मैनेजर निवेश करने के लिए अतिरिक्त समय और प्रयास करते हैं ताकि उन्हें सबसे बेहतर निवेश का पता लग सके। इसे आपको उनकी सर्विस के लिए ज्यादा फीस देनी पड़ती हैं। ये फीस सेल्स कमीशन से अलग होती हैं।

  • किस प्रकार का म्यूचुअल फंड सबसे अच्छा रिटर्न देता है ?
लंबी अवधि के लिए निवेश करने के लिए इक्विटी फंड सबसे अच्छे म्यूचुअल फंड हैं; म्युचुअल फंड की श्रेणियां जैसे कि सेक्टोरल और थीमेटिक फंड सबसे अच्छा रिटर्न प्रदान करते हैं। हालांकि, इस बात से हमेशा अवगत रहें कि बेहतरीन रिटर्न पाने के लिए आपको उच्च जोखिम का भी सामना करना पड़ेगा।

  • क्या कोई ऐसा म्यूचुअल फंड है जो बाजार के नीचे जाने पर मुझे लाभ कमाने में सक्षम बना सकता है ?
यदि आप बाजार में गिरावट आने पर पैसा कमाना चाहते हैं तो आप उलटा या लीवरेज्ड फंड चुन सकते हैं। सामान्य म्युचुअल फंडों की तुलना में, इन फंडों में जोखिम अधिक होता है क्योंकि वे केवल तभी महत्वपूर्ण पुरस्कार प्रदान करते हैं जब बाजार नीचे होते हैं और जब बाजार अच्छा प्रदर्शन कर रहे होते हैं तो ये फंड अक्सर नुकसान का अनुभव करते हैं। यदि आप महत्वपूर्ण नुकसान उठाने का जोखिम उठाने को तैयार हैं तो ही आपको ऐसी योजनाओं का चयन करना चाहिए।

 

नोट: यह ब्लॉग पूरी तरह जानकारी के उद्देश्य से है। यह किसी भी प्रकार की निवेश सलाह नहीं हैं।

म्युचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले योजना से संबंधित सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें। पिछले प्रदर्शन भविष्य के परिणामों की कोई गारंटी नहीं होते हैं। कोई योजना चुनने से पहले, कृपया अपने निवेश लक्ष्यों की समीक्षा करें।